सरीन लखविंदर https://www.facebook.com/sareen.lakhvinder
जितना दिमाग और पैसा खालिस्तानी और सिख संघठन "कोम दे हीरे" जैसी फिल्मे बनाने पर लगा रहे है अगर उतना ही दिमाग और पैसा गरीब सिख रविदासिया और मजहबी सिख भाइयों पर लगाते तो वो आज सिख धर्म छोड़ कर इसाई ना बनते।।पंजाब में आतंकवाद को दोबारा जीवत करने की साजिश है ऐसी फिल्मे जिसके लिए विदेशों में बैठे आतंकवादी इनकी मदद करते है